लखनऊ,। अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाते हुए कहा है कि, 1948 से पहले दुनिया के नक़्शे पर इज़राइल नाम का कोई देश नहीं था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने अपने फिलिस्तीनी उपनिवेश की ज़मीन पर बाहर से बुलाकर यहूदियों को बसाया था। इसीलिए दो-चार उपनिवेशवादी देशों को छोड़कर भारत समेत पूरी दुनिया फिलिस्तीन के स्वतंत्र देश के बतौर स्थापना का समर्थन करती है। वहीं भारत पर ब्रिटिश शासन का समर्थन करने वाले और दूसरे विश्वयुद्ध में उसके लिए सैनिक भर्ती का अभियान चलाने वाले आरएसएस से जुड़े लोग ही इज़राइल का समर्थन करते हैं।
कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भारत जैसा कोई भी देश जो ख़ुद दो सौ साल तक उपनिवेशवाद से लड़ता रहा हो वो इज़राइली उपनिवेशवाद का समर्थन नहीं कर सकता। भाजपा और संघ इज़राइल का समर्थन करके देश की उपनिवेशवाद विरोधी गौरवशाली इतिहास को कलंकित करते हैं। शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाते हुए कहा की भारत ने अपने इसी उपनिवेशवाद विरोधी स्टैंड के तहत 1947 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा फिलिस्तीन की ज़मीन पर यहूदियों के बसाए जाने के लिए लाए गए प्रस्ताव का विरोध किया था। वहीं 1993 में हुए ओस्लो समझौते को भी भारत ने मान्यता देते हुए फिलिस्तीन और इज़राइल के सहअस्तित्व को स्वीकार किया था। हमारी विदेश नीति इसी समझौते से संचालित होती रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के अंदर ऐसी कई खबरें सामने आई हैं जहाँ फिलिस्तीन के पक्ष में पोस्ट लिखने पर आरएसएस से जुड़े लोगों की शिकायत पर पुलिस दो समुदायों के बीच द्वेष बढ़ाने की धारा में मुकदमा भी लिख रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वो भारत के परंपरागत स्टैंड से पीछे हट गयी है और अगर ऐसा है तो विदेश मंत्रालय ने फिलिस्तीन के स्वंत्र राज्य की स्थापना के समर्थन में अपना बयान क्यों दिया? क्या योगी सरकार विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के खिलाफ़ भी मुकदमा दर्ज करेगी?