प्रयागराज, करछना 13 मार्च, ग्राम प्रधान और सचिवों की मिलीभगत से अपात्रों को आवण्टित की जा रही आवास आवंटन की प्रक्रिया की जांच कराकर पात्र व्यक्तियों में ही आवासो का आवंटन सुनिश्चित करो, भूमिहीनो में आवंटित ग्रामसमाज की जमीनों का ग्राम प्रधानों द्वारा बेचे जाने पर रोक लगाओ, भूमाफियाओं द्वारा कब्जा की गई ग्रामसमाज की जमीनों को अविलम्ब मुक्त कराकर भूमिहीनो में तत्काल पट्टा करो, छुआछूत मानना देशद्रोह है और संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है, जातिवाद आतंकवाद है जातिबंदी कानून अविलंब बनाओ, जाति उत्पीड़क को आतंकवादी घोषित करो, एससी, एसटी एक्ट को बेसिक स्ट्रक्चर का पार्ट बनाओ, जातिसूचक उपनाम लगाना अपराध घोषित करो, एससी, एसटी एक्ट को बेसिक शिक्षा में शामिल करो, अंतर्विवाह पर कर छूट का कानून अभिलंब बनाओ, भारत की अस्पृश्यता, जाति व जातिवाद को शत प्रतिशत समाप्त करो, हिंदू राष्ट्र के संविधान का प्रारूप तैयार करने वालों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करो, अंधविश्वास, पाखंड, कर्मकांड को बढ़ावा देने वाली संस्थाओं के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करो, जमीन और उद्योगों का राष्ट्रीयकरण करो, ग्राम समाज की जमीन भू माफियाओं से मुक्त करा कर भूमिहीनों में अभिलंब आवंटित करो आदि चौदह सूत्रीय मांगों को लेकर पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) ने कार्यालय उप जिलाधिकारी करछना के समक्ष सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन कर आवश्यक कार्यवाही हेतु महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम करछना डा. गणेश प्रसाद को सौंपा।
पदम संस्थापक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने बताया कि संविधान शिल्पी डॉक्टर अम्बेडकर के निर्देशानुसार यदि कृषि और उद्योगों का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाए तो दोनों का मालिक राज्य हो जाएगा और संविधान के नीति निर्देशक योजना के अनुसार जमीनों का आवंटन, मूलभूत भूमि सुधार लंबे समय से लंबित है। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की दयनीय दशा बढ़ गई है। क्योंकि कृषि जगत में कल- कारखानों के उपकरणों (ट्रैक्टर) के इस्तेमाल तथा बैलों द्वारा कृषि कार्य समाप्त होने की वजह से भूमिहीन कृषक मजदूर बेरोजगार हो गए हैं जिससे उनकी रोजी-रोटी का साधन भी छिन गया है और वह गरीबी से बढ़कर कंगाल की श्रेणी में आ गए है। उनके पास उत्पादन का साधन तथा बेरोजगारी मिटाने का कोई उपाय नहीं है। ऐसी स्थिति में भूमि सुधार के तहत सूबे स्तर पर ग्रामसमाज की ऊसर, बंजर, परती व सरकारी तथा समाज कल्याण विभाग द्वारा क्रय की गई भूमि और सीलिंग से घोषित अतिरिक्त तथा बेनामी जमीनों को अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों में आवंटित कराने की जरूरत है। ग्रामसभा लोटाढ़, इसौटा, भुण्डा भुवालपुर, मछहर का पुरवा, लखरावा, केशवपुर, बहेरी, करछना (बड़ी चमरौटी), हथिगन, कर्मा अड़ार, रामपुर स्थित अनुसूचित जाति बाहुल्य बस्तियो के सैकड़ों भूमिहीनो ने भी अपने अपने गावों की समस्याओं पर आवश्यक कार्यवाही किये जाने के बावत उप जिलाधिकारी करछना डा. गणेश प्रसाद को प्रार्थना पत्र सौंपा।
पदम के संस्थापक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने आगे बताया कि एक ओर जहां गावों के ग्राम प्रधान और सचिव मिलाकर अपात्रों में प्रधानमंत्री आवास धड़ल्ले से आवण्टित कर रहे है जिसकी जांच कराकर पात्रों में आवास आवंटित किया जाय की मांग की है तो वही दूसरी ओर भूमिहीनो में आवंटित ग्रामसमाज की जमीन को बेचने का काम कर रहे है जिसकी जांच कराकर ग्राम प्रधानों द्वारा किये जा रहे गैर कानूनी कृत्य पर अबिलम्ब रोक लगाई जाय। आश्चर्य की बात तो यह है कि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति की पुरानी पुश्तैनी आबादी वाली भूमि मौके के अनुसार आबादी में दर्ज हो ही नहीं रही है। लेखपाल मौके के आधार पर फसलों में अनुसूचित जाति की अवादी दर्ज ही नहीं करते जिसका लाभ उठाकर पुलिस प्रशासन तथा राजस्व विभाग की लचर व्यवस्था के कारण क्षेत्रीय गुण्डे, भू-माफिया अपने अपने क्षेत्रों में हॉबी है। पदम ने मांग किया कि सरकारी स्तर से अभियान चलाकर अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को आवासीय तथा कृषि कार्य हेतु भूमि आवंटन कराने तथा दलितों की आवादी भूमि मौके के अनुसार खसरे में दर्ज कराने की मांग भी की है।
धरना प्रदर्शन में बजरंगी लाल, विद्याधर, रामबहादुर, राजकुमार, रामगोपाल, जितेन्द्र कुमार, इन्द्रबहादुर, रामस्वरूप, रामअधार, वासुदेव, अशोक कुमार, विहारीलाल, मथुरा प्रसाद, राजेश, मक्खन लाल सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।